दिल्ली से त्रिउंड तक पहुंचने के लिए कई रास्ते हैं, आप बस, टैक्सी, कार या हवाई जहाज से जा सकते हैं।
सबसे तेज़ रास्ता है हवाई जहाज से जाना। सबसे पहले आपको दिल्ली से धर्मशाला के लिए फ्लाइट लेनी होगी। वहां से, आप त्रिउंड के लिए टैक्सी या बस ले सकते हैं। धर्मशाला से त्रिउंड तक पहुंचने में लगभग 9 किमी की दूरी है। टैक्सी सबसे सुविधाजनक विकल्प है, लेकिन यह थोड़ा महंगा भी हो सकता है। बसें अधिक किफायती होती हैं, लेकिन इसमें थोड़ा अधिक समय लग सकता है।
दिल्ली से धर्मशाला के लिए ट्रेन एक और विकल्प है। कई ट्रेनें दिल्ली से कांगड़ा या पठानकोट जाती हैं, जो धर्मशाला के नज़दीकी रेलवे स्टेशन हैं। वहां से, आप त्रिउंड के लिए टैक्सी या बस ले सकते हैं।
यह मार्ग थोड़ा लंबा है, लेकिन यह उन लोगों के लिए एक अच्छा विकल्प है जो ट्रेन यात्रा का आनंद लेते हैं।
आखिरी रास्ता है सड़क मार्ग। आप दिल्ली से धर्मशाला के लिए बस या कार ले सकते हैं। यह सबसे किफायती विकल्प है, लेकिन इसमें सबसे अधिक समय भी लगता है। दिल्ली से धर्मशाला की दूरी लगभग 475 किमी है।
सड़क मार्ग चुनते समय सड़क की स्थिति और यातायात को ध्यान में रखना चाहिए।
कौन सा रास्ता आपके लिए सबसे अच्छा है यह आपकी पसंद और बजट पर निर्भर करता है।
त्रिउंड में घूमने के लिए ट्रैकिंग के अलावा भी कई चीजें हैं! आइए देखें आप वहां क्या कर सकते हैं:
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ट्रेकिंग का मज़ा लें: त्रिउंड सबसे प्रसिद्ध है ट्रैकिंग के लिए। यह एक आसान से मध्यम ट्रेक है, जो मैक्लोडगंज या धर्मकोट से शुरू होता है। ऊपर से धौलाधार पर्वतमाला का नज़ारा मनमोहक होता है।
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पहाड़ों में कैंपिंग का अनुभव: ट्रेक के बाद, आप त्रिउंड में कैंपिंग करके रोमांचक अनुभव ले सकते हैं। रात में आसमान में चमकते सितारों को निहारना और पहाड़ों की खामोशी का आनंद लेना अविस्मरणीय होता है।
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पहाड़ी इलाके की खूबसूरती को कैमरे में कैद करें: त्रिउंड की प्राकृतिक सुंदरता लाजवाब है। पहाड़ों, घाटियों, जंगलों और दूर दिखते हिमालय की तस्वीरें ज़रूर लें।
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पहाड़ी भोजन का स्वाद लें: त्रिउंड में छोटी-छोटी दुकानों पर मिलने वाला पहाड़ी भोजन ज़रूर खाएं। मगगी, पकौड़े, चाय और स्थानीय व्यंजन लज़ीज होते हैं।
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आसपास घूमें: त्रिउंड के आसपास थोड़ा घूमकर प्रकृति का आनंद लें। यहां आप जंगली फूल और पहाड़ी पक्षी देख सकते हैं।
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धर्मशाला घूमने जाएं: त्रिउंड से वापसी में आप धर्मशाला भी घूम सकते हैं। तिब्बती मंदिरों को देखने जाएं, स्थानीय बाजारों में घूमें और दलाई लामा मंदिर परिसर जाएं।
त्रिउंड अपने आप में घूमने के लिए कोई बड़ा शहर नहीं है, बल्कि धौलाधार पर्वतमाला की तलहटी में स्थित एक छोटा सा घास का मैदान है। इसलिए घूमने के लिए यहाँ बहुत सारी जगहें नहीं हैं, असली मज़ा तो ट्रैकिंग और आसपास के वातावरण में ही है। त्रिउंड की यात्रा के कुछ मुख्य आकर्षण ये हैं:
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त्रिउंड ट्रैक: यहाँ असली ख़ासियत खुद ट्रैक ही है। यह एक मध्यम कठिनाई वाली चढ़ाई है, जहाँ से कांगड़ा घाटी और धौलाधार पहाड़ों का नज़ारा मनमोहक होता है।
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त्रिउंड में कैंपिंग: ट्रैकिंग के बाद, आप त्रिउंड में कैंपिंग करके रोमांचक अनुभव ले सकते हैं। रात में आसमान में तारों की जगमगाहट और पहाड़ों की शांति का आनंद लेना अविस्मरणीय होता है।
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हरी घास के मैदान: त्रिउंड हरे भरे मैदानों से घिरा हुआ है। वहां खिलने वाले जंगली फूलों और ताज़ी पहाड़ी हवा का मज़ा लें।
त्रिउंड के आसपास बजट में रहने के लिए कई विकल्प हैं, जिनमें गेस्ट हाउस, होमस्टे और कैंप शामिल हैं। धर्मशाला या मैक्लोडगंज में रहना भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है, जहाँ से आप दिन में त्रिउंड की सैर कर सकते हैं। यहां कुछ किफायती विकल्प दिए गए हैं:
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गेस्ट हाउस: मैक्लोडगंज और धर्मकोट में कई गेस्ट हाउस हैं जो छात्रों और बजट यात्रियों के लिए किफायती आवास प्रदान करते हैं। कुछ लोकप्रिय विकल्पों में शामिल हैं:
- चिन्मय गेस्ट हाउस: ऊपरी भगसू, धर्मशाला में स्थित है। इसकी Google रेटिंग 4.7 है।
- शिव शक्ति गेस्ट हाउस: धर्मकोट रोड, धर्मशाला में स्थित है। इसकी Google रेटिंग 3.5 है।
- व्हाइट वाटर इन मैक्लोडगंज: धर्मशाला में स्थित है। इसकी Google रेटिंग 4.4 है।
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होमस्टे मैक्लोडगंज और धर्मकोट में कई होमस्टे भी हैं जो गर्मजोशी और स्थानीय अनुभव प्रदान करते हैं। ये आमतौर पर गेस्ट हाउस से भी सस्ते होते हैं।
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कैंपिंग: त्रिउंड में कैंपिंग का अनुभव सबसे किफायती है। आप अपना खुद का टेंट ले जा सकते हैं या वहां से किराए पर ले सकते हैं। हालाँकि, ध्यान दें कि सर्दियों में ऊंचाई पर कैंपिंग करना मुश्किल हो सकता है।
ध्यान दें: ट्राईयुंड में ठहरने का चुनाव करते समय, यात्रा के मौसम और अपनी ज़रूरतों को ध्यान में रखें।
त्रिउंड घूमने का सबसे अच्छा समय आपके पसंद पर निर्भर करता है, क्योंकि अलग-अलग मौसमों में त्रिउंड का अपना ही अलग आकर्षण होता है. आइए देखें हर मौसम में त्रिउंड कैसा होता है:
गर्मियों के महीने (मार्च से मई):
- मौसम सुहाना होता है, ट्रैकिंग के लिए आदर्श।
- हालांकि, अप्रैल और मई में कभी-कभी बारिश हो सकती है।
- इस दौरान काफी भीड़ भी हो सकती है।
बरसात का मौसम (जून से अगस्त):
- इन महीनों में भारी बारिश होती है, जिससे लैंडस्लाइड का खतरा रहता है।
- ट्रैकिंग के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता है।
शरद ऋतु (सितंबर और अक्टूबर):
- मानसून खत्म हो जाने के बाद, मौसम साफ और सुहाना हो जाता है।
- ट्रैकिंग के लिए बहुत अच्छा समय।
- ज्यादा भीड़भाड़ भी नहीं होती है।
सर्दियां (नवंबर से फरवरी):
- तापमान काफी कम हो जाता है और बर्फबारी भी हो सकती है।
- अनुभवी ट्रैकर्स के लिए मुश्किल हो सकता है।
- हालांकि, बर्फ से ढके पहाड़ों का नजारा देखने लायक होता है।
- इस दौरान कम ही लोग घूमने आते हैं।
तो, आपके लिए सबसे अच्छा समय कौनसा है?
- अगर आप ट्रैकिंग के लिए सुहाना मौसम चाहते हैं तो मार्च से मई या सितंबर-अक्टूबर का चुनाव करें।
- अगर आप बर्फ से ढके हुए खूबसूरत पहाड़ देखना चाहते हैं तो सर्दी का मौसम चुन सकते हैं, लेकिन सावधानी और अनुभव ज़रूरी है।
- भीड़ से बचना चाहते हैं तो सितंबर-अक्टूबर या फिर फरवरी का आखिर चुन सकते हैं।
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