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Captain Anshuman Singh:कैप्टन अंशुमान सिंह और देश के प्रति उनके प्रेम और बलिदान की कहानी

 हिमालय का वीर बेटा: कैप्टन अंशुमन सिंह

कश्मीर की बर्फीली चोटियों को चीरती हुई सियाचिन की ऊंचाई पर तैनात थे, कैप्टन अंशुमन सिंह। पंजाब रेजिमेंट की 26वीं बटालियन के आर्मी मेडिकल कोर के वो एक होनहार जवान थे। बचपन से ही देश सेवा का जुनून उनकेखून में दौड़ता था। उनकी आँखों में हमेशा देश के लिए कुछ कर गुजरने की चमक रहती थी।

एक रात अचानक सियाचिन के विकट मौसम ने अपना रूप बदला। बर्फीली हवाओं का थपेड़ों और तूफान का कहर बरपा हुआ था। ऐसे ही मौसम में दुश्मन की तरफ से छिपकर हमला हुआ। भारतीय सेना के जवानों को मुंहतोड़ जवाब देने के दौरान कई जवान घायल हो गए। घायलों में से एक जवान की हालत बहुत नाजुक थी।

उस समय कैप्टन अंशुमन सिंह ड्यूटी पर थे। घायल जवानों की चीखें पुकार बनकर उनके पास पहुंचीं। बिना किसी देरी के वो युद्ध क्षेत्र में घायलों की तरफ दौड़े। तूफान की रफ्तार से चलती बर्फीली हवाओं को चीरते हुए वो घायलों तक पहुंचे। वहां का नजारा दिल दहला देने वाला था। मगर अंशुमन घबराए नहीं। उन्होंने अपनी चिकित्सा का पूरा ज्ञान उस घायल जवान को बचाने में लगा दिया।


अपने आप पर बर्फीले तूफान का कहर झेलते हुए उन्होंने घायल जवान का इलाज किया। घंटों तक वो जवानों को बचाने में जुटे रहे। उनकी निष्ठा और साहस का नतीजा ये हुआ कि उन्होंने कई जवानों की जान बचाई। मगर इस दौरान खुद अंशुमन को भीषण ठंड लग गई थी। उन्हें हाइपोथर्मिया हो गया। अपने साथियों को बचाने के बाद अंशुमन सिंह वीरगति को प्राप्त हो गए।

देश भले ही अपने एक वीर बेटे को खो बैठा था, लेकिन कैप्टन अंशुमन सिंह की शहादत ने पूरे देश को गौरवान्वित कर दिया। मरणोपरांत उन्हें भारत सरकार ने कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया। उनकी बहादुरी की कहानी आज भी सियाचिन की ऊंचाइयों पर गूंजती रहती है, और आने वाली पीढ़ियों को देशभक्ति का पाठ पढ़ाती रहती है।


कैप्टन अंशुमन सिंह की प्रेम कहानी उतनी ही दिल छू लेने वाली थी, जितनी उनकी शहादत गौरवपूर्ण। उनकी पत्नी स्मृति सिंह बताती हैं कि उनका प्यार कॉलेज में पहली नजर में ही हो गया था।

"https://timesofindia.indiatimes.com/life-style/relationships/love-sex/it-was-love-at-first-sight-late-captain-anshuman-singhs-widow-smriti-singh-shares-their-heart-touching-love-story/articleshow/111575428.cms" के मुताबिक, कॉलेज में सिर्फ एक महीने की मुलाकात के बाद ही उनकी दूर-दराज का रिश्ता बन गया। अंशुमन कोर्स पूरा करने और डॉक्टर बनने के बाद तक ये रिश्ता आठ साल तक चला। आखिरकार 2023 के फरवरी में उनकी शादी हो गई।

लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था। शादी के कुछ ही महीनों बाद अंशुमन को सियाचिन में तैनाती मिल गई। शादी से पहले की आखिरी लंबी बातचीत को याद करते हुए स्मृति बताती हैं कि कैसे वो दोनों अगले 50 सालों के अपने सपनों को बुन रहे थे। एक साथ घर बनाना, बच्चे पैदा करना, ऐसी ही तमाम बातें।

लेकिन अगले ही सुबह स्मृति को ये दुखद खबर मिली कि अंशुमन नहीं रहे। सियाचिन में हुए एक हादसे में उन्होंने वीरगति को प्राप्त हो गए थे।

हालांकि उनकी शादीशुदा ज़िन्दगी बहुत कम समय की ही रही, लेकिन उनका प्यार एक ऐसी मिसाल बन गया, जो जज़्बे और फर्ज़ के बीच के रिश्ते को बयां करती है।












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